बँक प्रणाली और M-M-M

दोस्तों,
         सबसे पहले में आपसे कुछ पूछना चाहूँगा। हम बैंक में पैसा क्योँ रखते है। आखिर क्या वजह हो सकती है इसकी आप के हिसाब से? कभी आपने इसके बारे में सोचा है?
आईये जानते है इसके बारे मे विस्तार से-
जैसे की आप जानते है की हम केवल दो मुख्य कारणों से अपना पैसा बैंक में डिपाजिट करते है -
1. हमे डर रहता है की अगर घर में अगर इतना पैसा हम रखते है या इतना सारा पैसा घरमे पड़ा रहा तो कल जाके ये पैसा कही कोई चोरी न कर ले।इसलिए एक सुरक्षा की तौर से हम अपना पैसा बैंक में डिपाजिट कर देते है।क्योंकि उस समय हमे वही सबसे सुरक्षित और उचित लगता है। तो पहिला कारन ये है। 99.99% लोग इससे सहमत है।
2. दूसरा इसका कारन बैंक से डिपाजिट अमाउंट पर कुछ परसेंट भी मिल जाता है, भलेही वो  कम क्यों न हो लेकिन हम सोचते है चलो कुछ तो मिल रहा है, इसलिए हम पैसा बैंक में पड़ा रहने देते है।

  • क्या आप इन कारणों से सहमत हो? 
  • क्या  लगता है आपका सारा पैसा बैंक में सुरक्षित है?
  • क्या आप बैंक जो रेट ऑफ़ इंटरेस्ट दे रहा है उससे 100% सहमत हो?
  • क्या आपको नहीं लगता कुछ  या गलत हो रहा हो आपके साथ?
आईये इन्ही प्रश्नों को सुलझाने की कोशिश करते है, कुछ ऐसी चीजे जिन्हें आप सुनकर आपके होश उड  जायेंगे और आप हैरत में आ जायेंगे।सबसे पहले हम दुसरे कारन की चर्चा करेंगे-
  • आपने कभी सोचा है की बैंक हमे बतोर इंटरेस्ट हमारे चालू खाते में 3-4% इंटरेस्ट क्योँ देती है।आखिर बैंक को इससे क्या मिलता होगा, जो ऐसेही वो लोगो को इंटरेस्ट बाँट रहा है।क्या बैंक ये इंटरेस्ट हमे अपने पॉकेट से देता है -  
तो इसका  जवाब है नहीं, बिलकुल ही नहीं। आपको पता है बैंक आम जनता का पैसा आम जनता को देती है।अब आप बोलोगे आखिर कैसे?
      तो सुनिए, हजारो लोग बैंक में पैसा ऊपर दिए कारणों से डिपाजिट करवाते है और बैंक इसके एवज में कुछ रेट ऑफ़ इंटरेस्ट देकर हमे संतुष्ट करा देती है। जमा किये गए पैसो का हिसाब हमे एक पासबुक पर लिखकर मिलता है। और हमे लगता है की हमारा सारा पैसा बैंक में पड़ा है। क्या आपको लगता है की सचमुच आपका जमा किया हुआ पैसा या फिर सभी लोगो का जमा किया हुआ पैसा बैंक में पड़ा रहता होगा? तो सुनिए बिलकुल नहीं। टोटल अमाउंट का कुछ ही परसेंट बैंक में लिक्विड फॉर्म में पड़ा रहता है, क्योंकि बैंक को पता है  टोटल 10% ही लोग या उससे भी कम एक दिनमे पैसा निकालते है, इसलिए तो आपका दिन का पैसा विड्राल करने का कुछ लिमिट तय किया रहता है, उसके ऊपर का अमाउंट आप विड्राल नही कर सकते, अगर आप रिक्वेस्ट भी करते हो तो बैंक आपको मन कर देता है या फिर आपको 2-3 के वेटिंग पर रख देता है, कारन जैसे मैंने आपको ऊपर बताया बैंक में उतना पैसा होता ही नहीं है।
अभी सवाल ये उठता है की इतना पैसा आखिर जाता तो कहा जाता है?
      ये सुनकर आप चोंक जायेंगे की करोडो रुपये कहा जाते है। तो सुनिए, हजारो लोग बैंक में अपना  पैसा डिपाजिट करते है, ऐसेही करोडो लोग बैंक से पैसा निकलते भी होंगे। यहा पर में विड्राल की बात नहीं कर रहा हु, इस समय में यहाँ पर लोन की बात कर रहा हु जी हां  लोन। आपको पता है करोडो लोग बैंक से 12-15% दर से पैसा बतोर लोन पर लेते है, और हैरत वाली बात ये है की इसी 15% में से 3-4% की दर से बैंक  हमे अपने डिपाजिट पर इंटरेस्ट देती है। इस तरह से बैंक टोटली मनी सर्कुलेशन करती है। याने आम जनता का पैसा आम जनता को देती है।

अभी मुख्य कारन जिससे आपको लगता की आपका पैसा बैंक में सुरक्षित है -
      क्या आपको पता सभी राष्ट्रीय बैंक के ऊपर उस कंट्री का रिज़र्व बैंक होता है। रिज़र्व बैंक के हातो इन सभी राष्ट्रीय बैंक्स का कण्ट्रोल होता है, रिज़र्व बैंक पूरी तरह नॉन प्रॉफिट फर्म है, ये केवल अपने निचली बैंक्स का लेनदेन देखता है।
उदाहरण  की तौर पर हम SBI का उदाहरण लेते है-
      मान लिजिये SBI पर भविष्य में कुछ प्राकृतिक आपदा या कोई आतंकवादी हलचल होती है और बैंक क्रेश हो जाता है, तो क्या होगा। तो आपने जितना भी अमाउंट बैंक में रखा होगा उसका केवल और केवल 1% ही आपको मिलता है। हैना हैरत वाली बात, पर यही हकीकत है। और मान लीजिये रिज़र्व बैंक ही क्रेश हो जाता है  तो? अभीभी आपको लगता है आपका बैंक में रखा हुआ पैसा सुरक्षित है या फिर आप पूरी तरह से सिक्योर्ड हो।

       हैरत की बात यह भी है हर कंट्री के ऊपर उस कंट्री का रिज़र्व बैंक देखभाल के लिए होता है अब आप बोलोगे रिज़र्व बैंक के ऊपर भी तो कोई होता होगा जो रिज़र्व बैंक को हैंडल करता होगा। तो जीहा आपका अंदाजा एकदम सही है। रिज़र्व बैंक का कण्ट्रोल वर्ल्ड फ़ेडरल बैंक के हातो में  होता है। अब ये सुनकर आपको कुछ रा हत महसूस हो रही होगी। पर फिरसे आप यह सुनकर अचम्भित हो जायेंगे की पुरे विश्व का पूरा हिसाब किताब वर्ल्ड फ़ेडरल के हातों में होता है। और चोकने वाली बात ये है की, वर्ल्ड फ़ेडरल बैंक पुर्णतः एक गवर्नमेंट संघटन न होते हुए एक पूरी तरह प्राइवेट संस्था है, जिसे 15-20 लोगों का पैनल चला रहा है। अगर सोचिये फ्यूचर में कोई आपदा आ जाती है, तो ये पैनल सबसे पहले खुदका देखेगा या फिर पुरे विश्व का।सोचिये?
      उम्मीद करता हु की आपके समझ में सभी बाते आ गयी होगी। जिसके बारे में आप अभीतक अंनजान थे।

अब आईये थोडा MMM के बारे में समझते है 

  • MMM भी एक बैंक की तरह काम करता है, मनी सर्कुलेशन यहाँ पर भी होता है जैसे को बैंक्स में होता है। फरक केवल इतना है की बैंक CIRCULATE करे तो लीगल  MMM  करे तो इल-लीगल।
  • MMM में फरक सिर्फ इतना है की आम जनता का पैसा आम जनता को सीधा बिना किसी माध्यम से जाता है . MMM  में बैंक की तरह कोई स्टोरेज नहीं रहता यही वजह है की हमें 30-55% इसके माध्यम से मिल जाता है।
  • MMM  का उद्देश्य है की आम जनता का जो हक़ है वो उसे पुर्णतः मिले और वो इसमें सफल भी हो रहा है। इसलिए सिर्फ पैसा कमानेके माध्यम से यहाँ पर मत आईये बल्कि एक मोहिम समझकर इसका हिस्सा बनिए। पैसा तो आप इसमें कमाएंगे ही और लोग कम रहे है भी, पर समाज में जो भी कुछ गलत हो रहा है उसे जड़ से मिटाने के लिए इस मोहिम से जुड़िये।






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